आज की Hindi Kahani में हम जानेंगे कि महाभारत युद्ध के बाद अश्वत्थामा के साथ क्या हुआ और आज वे कहाँ हैं?
दोस्तों महाभारत के युद्ध के बाद श्री कृष्ण से मिले श्राप के प्रकोप से अश्वत्थामा कराहते हुए जंगल जंगल भटकते रहते थे. इस असहनीय दर्द से राहत पाने के लिए अश्वत्थामा ने हिमालय की ओर प्रस्थान किया और अपने पापों के प्रायश्चित के लिए कठोर तपस्या की।
तपस्या के दौरान एक दिन उनकी मुलाक़ात एक संत से हुई. महात्मा संत ने उनसे पूछा, ‘तुम कौन हो और यहाँ क्यों आए हो?’अश्वत्थामा ने अपने पापों और श्री कृष्ण द्वारा मिले श्राप की कहानी सुनाई।
संत ने उन्हें मार्गदर्शन दिया और कहा कि केवल सच्ची भक्ति, ज्ञान और सेवा से ही वे शांति और राहत पा सकते हैं।”
“अश्वत्थामा ने संत की सलाह मानी और लोगों की सेवा में जीवन व्यतीत करना शुरू किया।
तपस्या और सेवा से उनकी तकलीफ धीरे-धीरे कुछ कम होने लगी”. ज्ञान प्राप्ति के लिए उन्होंने अन्य चिरंजीवी महर्षि वेद व्यास जी की तलाश में लग गए. क्युकी जहाँ ज्ञान होता है वहां तकलीफ नहीं होती. माना जाता है कि आज वे हमेशा वेदव्यास जी के आस-पास ही रहते हैं. ताकि ज्ञान के सानिध्य में रहने से उनकी तकलीफ कम हो.
इस कहानी से हमें यह प्रेरणा मिलती है कि जीवन में हमसे कितनी भी बड़ी गलती हो जाये, सच्चे मन से की गयी भक्ति, आवश्यक ज्ञान प्राप्त कर और ज़रूरतमंदों की सेवा कर हम अपने पापों का प्रायश्चित कर सकते हैं.